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नॉयज ऑफ साइलेंस: एनआरसी के मुद्दे पर बनाई गई पहली फिल्म, रोहिंग्या मुस्लिम बनीं पूजा झा ने निभाया दमददार रोल

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मुंबई4 मिनट पहले

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बीते साल एनआरसी का मुद्दा काफी गरमाया रहा, असम में लाखों हिंदू और मुस्लिमाें के नाम एनआरसी लिस्ट से हटा दिए गए थे। जिसके बाद उन पर देश छोड़ने का दबाव बना हुआ है और उन्हें रिफ्यूजी बताया गया है। इसी मुद्दे पर ‘नॉयज ऑफ साइलेंस (Noise of Silence) नाम की फिल्म MX Player पर 11 दिसंबर को रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म के मुख्य पात्र में है पूजा झा। पूजा इस फिल्म में एक रोहिंग्या मुस्लिम लड़की का किरदार निभा रही हैं, जो फिल्म में अपनी मां की तलाश कर रही है। फिल्म का ट्रेलर भी काफी धूम मचा चुका है।

सत्य घटनाओं पर है फिल्म की कहानी
‘नॉयज ऑफ साइलेंस फिल्म की कहानी रियल इंसीडेंट पर आधारित है। असम में बीते साल एनआरसी का मुद्दा गरमाया हुआ था। एनआरसी लिस्ट में करीब 19 लाख लोगों के नाम हटा दिए गए थे। यानी लिस्ट के हिसाब से इतने लोग भारत के नागरिक नहीं हैं। इसमें करीब 15 लाख लोग थे और 4 लाख के करीब मुस्लिम थे।

https://www.youtube.com/watch?v=fkYlQUl1tkc

फिल्म की कहानी
म्यांमार से आई एक रोहिंग्या समुदाय की लड़की है, जो अपनी मां की तलाश कर रही है। कहानी का दूसरा पात्र एक शख्स है, जो अपनी बीवी का नाम राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में दर्ज कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाता दिखता है। दो विपरीत कहानियां एक अहम मुकाम पर आकर एक दूसरे से टकराती हैं। भारतीय सिनेमा का ये अपनी तरह का एक अनूठा प्रयोग है, जिसमें राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को मुख्य विषय को फिल्म में शामिल किया गया है। फिल्म के निर्देशक सैफ बैद्या ने इस फिल्म की शूटिंग त्रिपुरा में की है और इसमें उन्हें वहां के स्थानीय कलाकारों की भी काफी मदद मिली है।

कौन है फिल्म की मुख्य पात्र
फिल्म के लीड रोल में जमशेदपुर की पूजा झा हैं। पूजा के काम को इसके पहले फिल्मों और वेब सीरीज में नोटिस किया गया है, लेकिन ये उनका पहला लीड रोल है। पूजा बताती हैं, मेरे सामने चुनौती ये भी थी कि मैं त्रिपुरा में शूटिंग करते हुए म्यांमार की बेटी दिखूं और एक भारतीय विषय की संवेदनशीलता को भी सहज और सरल तरीके से परदे पर पेश कर सकूं।’ फिल्म ‘नॉयज ऑफ साइलेंस’ एक ऐसे विषय को मानवीय ढंग से परदे पर पेश करती है, जिसकी परतें समझना काफी कठिन होता है। ये भावनाओं और संभावनाओं की कहानी कहती फिल्म है। प्रेम, विछोह, आकुलता और विकलता इसकी अंतर्धाराएं हैं।’



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